लंदन. मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के आरोपों को लेकर विवादों में घिरे शराब व्यवसायी विजय माल्या के प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई सोमवार को फिर शुरू हुई. इस दौरान माल्या के वकीलों ने भारत की न्याय व्यवस्था (जस्टिस सिस्टम) की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए. 61 वर्षीय माल्या सुनवाई के चौथे दिन लंदन के वेस्टमिंस्टर मैजिस्ट्रेट की अदालत में मौजूद रहे.
माल्या के वकील यह साबित करने का प्रयास कर रहे हैं कि एयरलाइन का ऋण नहीं चुका पाने का मामला कारोबार की विफलता का परिणाम है ना कि यह कोई ‘बेईमानी’ अथवा ‘धोखाधड़ी’ का मामला है.किंगफिशर एयरलाइंस के लिए बैंकों से लिए गए कर्ज को नहीं चुकाने और धोखाधड़ी करने के मामले में माल्या भारत में वांछित हैं. इस मामले में करीब 9,000 करोड़ रुपये की कर्ज देनदारी शामिल है.
उनकी वकील क्लेयर मोंटगोमरी ने सुनवाई के दौरान केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर अपनी राय देने के लिए डॉ. मार्टिन लाउ को पेश किया. डॉ. लाउ दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ हैं. डॉ. लाउ ने सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग के तीन अकादमिकों की एक स्टडी का हवाला देते हुए रिटायरटमेंट के करीब पहुंचे सुप्रीम कोर्ट जजों की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए.