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पडोसी सेना में मचा हड़कंप-सरहद पर सुखोई की ललकार पासी घाट पर एडवांस लैंडिग की तैयारी पूरी !

नई दिल्ली/ईंटानगर : अरूणाचल प्रदेश के पासीघाट में पांचवी एडवांस लैंडिग ग्राउंड (ALG) को शुरू कर दिया गया है. अब चीनी सीमा पर फाइटर प्लेन और बड़े मिलेट्री टांसपोर्ट एयरक्राफ्ट उतारे जा सकते हैं. जरूरत पड़ने पर सैनिकों और तोपों का जल्द मूवमेंट हो सकता है. भारत के इस कदम के बाद चीनी सेना में हड़कंप मच गया है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चीन ने तिब्बत मे एयर परेशन बढ़ा दिए हैं.

भारतीय वायुसेना की आधुनिक हवाई पट्टी बनकर तैयार

अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट में भारतीय वायुसेना की आधुनिक हवाई पट्टी बनकर तैयार हो गई है. चीन सीमा के करीब पासीघाट एडवांस लैंडिग ग्राउंड यानि एएलीजी को वायुसेना ने  ‘स्ट्रेटैजिक-एसैट’ यानि ‘सामरिक-पूंजी’ करार दिया है. आज गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू ने वायुसेना के बड़े अधिकारियों की मौजूदगी में इस हवाई पट्टी का उद्घाटन किया.

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वास्तविक नियंत्रण रेखा यानि एएलसी पर ताकत बढ़ाई

चीनी सीमा पर हाल ही में टैंकों की एक पूरी ब्रिगेड तैनात करने के बाद अब वायुसेना भी वास्तविक नियंत्रण रेखा यानि एएलसी पर अपनी ताकत बढ़ाने में जुट गई है. सूत्रों की मानें तो इससे चीनी सेना में खलबली मच गई है. पीएलए एयरफोर्स ने अरुणाचल प्रदेश से सटे तिब्बत इलाके में अपने एयर-ऑपरेशन्स काफी बढ़ा दिए हैं.

पासीघाट हवाई पट्टी भारतीय वायुसेना की 8 हवाई पट्टियों में शामिल

पासीघाट हवाई पट्टी भारतीय वायुसेना की उन आठ हवाई पट्टियों में शामिल हैं. जिन्हे फाइटर-प्लेन और बड़े मिलेट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के लैंडिग के लिए तैयार किया जा रहा है. पासीघाट पांचवी एडवांस लैंडिग ग्राउंड है जो अरुणचाल प्रदेश में बनकर तैयार हो गई है. पासीघाट से पहले जीरो, एलोंग, मेचूका और वालोंग बनकर तैयार हो गईं हैं. इन सभी आधुनिक हवाई पट्टियों से सुखोई और सी-17 जैसे लड़ाकू विमान और बड़े मिलेट्री एयरक्राफ्ट अपने ऑपरेशन्स कर सकते हैं.

हवाई पट्टियों से जरुरत पड़ने पर सेना के जवानों को भी पुहंचा सकता है

इन हवाई पट्टियों से जरुरत पड़ने पर सेना के जवानों के साथ-साथ तोपों और जरुरी सैन्य साजों-सामान को विमानों के जरिए जल्द से जल्द सीमा पर पहुंचाया ही जा सकता है. खास बात ये हैं कि वायुसेना के इस्तेमाल के साथ-साथ पासीघाट हवाई पट्टी से कॉमर्शियल प्लेन भी उड़ाए जा सकते हैं. इसलिए स्थानीय लोगों के लिए भी ये हवाई पट्टी देश के बाकी हिस्सों से जुड़ने में खासी मददगार साबित होगी.

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अरुणचाल प्रदेश देश के सबसे दूरस्थ और दुर्गम इलाकों में से एक

अरुणचाल प्रदेश देश के सबसे दूरस्थ और दुर्गम इलाकों में से एक है. पासीघाट अरुणाचल प्रदेश का एक छोटा सा कैंट-शहर है. पश्चिमी सियांग जिले का ये छोटा सा शहर अरुणचाल प्रदेश के सबसे पुराने शहरों में से एक है. जिसे अंग्रेजों ने 1911 में बसाया था. इस छोटे से कैंट से अंग्रेजी सेना अरुणाचल प्रदेश के उन इलाकों को नियंत्रित करती थी जहां जाना भी बेहद मुश्किल होता था.

अरुणचाल प्रदेश देश के सबसे दूरस्थ और दुर्गम इलाकों में से एक

सियांग नदी के किनारे बसे इस बेहद खूबसूरत शहर को हाल ही में केंद्र सरकार के फ्लैग-शिप प्रोजेक्ट, स्मार्ट-सिटी के लिए चुना गया है. बताते चले की पासीघाट में रहने वाले अदि-जाति के लोग अपने वॉर-डांस, ‘तापू’ के लिए काफी जाने जाते हैं.  वायुसेना के एक बड़े अधिकारी ने एबीपी न्यूज को बताया कि अरुणचाल प्रदेश की ये सभी हवाई पट्टियां 60 के दशक में बनाईं गईं थी. कुछ हवाई पट्टियां तो अमेरिकी सेना ने दूसरे विश्व-युद्ध (1941-45) में जापान के खिलाफ इस्तेमाल की थीं.

हवाई पट्टियों को एडवांस लैंडिग ग्राउंड में तब्दील कर दिया

सालों से इनका कोई इस्तेमाल नहीं किया जा रहा था. इसलिए पुरानी पड़ी सभी आठ हवाई पट्टियों के आधुनिकिकरण के लिए कुछ साल पहले सरकार ने आदेश दिया था. उसके बाद से इन सभी हवाई पट्टियों को एडवांस लैंडिग ग्राउंड में तब्दील कर दिया गया है. इन सभी एएलजी का इंफ्रास्ट्रक्चर वायुसेना ने तैयार किया है. जल्द ही अरुणाचल प्रदेश की बाकी तीन हवाई पट्टियां, तवांग, विजयनगर और तूतिंग को भी एएलजी में तब्दील कर दिया जायेगा.

ग्राउंड तैयार करने का काम वर्ष 2013 में शुरु किया था

इन सभी का काम जोरों-शोरों से चल रहा है. वायुसेना ने चीन सीमा पर एडवांस लैंडिग ग्राउंड तैयार करने का काम वर्ष 2013 में शुरु किया था. जब चीनी सेना ने सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी यानि डीबीओ में करीब एक महीने तक अपना कैंप बना लिया था. डीबीओ में भारतीय वायुसेना की एक पुरानी हवाई पट्टी थी जो 60 के दशक के बाद से कभी इस्तेमाल नहीं की गई थी.

सी-130 जे सुपर हरक्युलिस मिलेट्री प्लेन को वहां उतारकर  इतिहास रचा

तुरंत वायुसेना ने डीबीओ में अपनी इसी हवाई पट्टी को ऑपरेशन्स के लिए तैयार किया और सी-130 जे सुपर हरक्युलिस मिलेट्री प्लेन को वहां उतारकर एक इतिहास रचा. डीबीओ की ये हवाई पट्टी दुनिया की सबसे उंची हवाई पट्टी है (करीब 18 हजार फीट पर). उसके बाद वायुसेना ने लद्दाख की ही नियोमा हवाई पट्टी को एक बार फिर से तैयार किया. उसके बाद अरुणाचल प्रदेश में इन एएलजी के नवीनीकरण का काम शुरु किया.

सर्दी के मौसम में भी अपने एयर-ऑपरेशन्स काफी बढ़ा दिए

सूत्रों की मानें तो भारतीय वायुसेना के डीबीओ और अरुणाचल प्रदेश में तैयार की जा रहीं एडवांस लैंडिग ग्राउंड्स से चीनी कैंप में भी हड़कंप मचा हुआ है. चीन ने अरुणचाल प्रदेश से सटी हुई तिब्बत सीमा में तीन नए एयर-स्ट्रीप तैयार की हैं. जहां से मिलेट्री एयकाफ्ट भी ऑपरेट हो सकते हैं. खास बात ये है कि चीन ने अब सर्दी के मौसम में भी अपने एयर-ऑपरेशन्स काफी बढ़ा दिए हैं. पहले चीनी सेना सर्दी के मौसम में काफी कम एयर ऑपरेशन्स करती थी.

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