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शहीद सैनिक बीके यादव का परिवार एक साल बाद भी आर्थिक सहायता और नौकरी के लिए दर-दर भटक रहा है.

एक साल पहले झारखंड सरकार ने शहीद के परिजन को दो लाख रुपये की आर्थिक मदद और एक आश्रित को नौकरी देने का वादा किया था.पुरानी साहिबगंज के बीके यादव पिछले साल जुलाई में जम्मू कश्मीर में ड्यूटी करते हुए आतंकवादियों के हमले में शहीद हो गए थे. पार्थिव शरीर का साहिबगंज के मुनीलाल श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया गया था. अंतिम संस्कार के मौके पर पहुंचे सरकार के प्रतिनिधि के द्वारा घोषणा की गई थी कि सरकार शहीद के परिजन को दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता दोगी और उनके आश्रितों में किसी एक को सरकारी नौकरी दी जाएगी.

इस घोषणा के एक साल बीत जाने के बाद भी शहीद के परिजन सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं. आज तक इन्हें मदद नहीं मिली है.

शहीद बीके यादव के परिजन अब सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते-काटते थक गए है. उन्होंने सरकार से गुहार लगाई है कि देश के लिए शहीद होने वाले सैनिकों के परिवारों पर सरकार ध्यान दे. किसी प्रकार के आर्थिक स्रोत नहीं होने के कारण और शहीद का परिवार फटेहाल जीवन जीने को मजबूर है. उनका कहना है कि हमारे सामने भुखमरी की स्थिति आ गई है. ऐसे में यदि शहीद के आश्रित को नौकरी मिल जाती है तो उन्हें जीने का बहुत बड़ा सहारा मिल जाएगा.

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