राहुल गांधी अपनी खाट चौपाल खत्म करके आगे बढ़ जाएंगे, लेकिन एक खास जिम्मेदारी कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को सौंप जाएंगे. दरअसल,कांग्रेस के रणनीतिकार पीके और राहुल ने मिलकर एक फॉर्म छपवाया है, जिसकी कॉपी आजतक के पास मौजूद है. इस फॉर्म को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ता किसानों के घर घर जाएंगे और भरवाएंगे.
खास फॉर्म और भरवाने का तरीका भी निराला, साथ वादा करने का लिखित अंदाज़ अजीबोगरीब
कर्ज माफा, बिजली का बिल हाफ, न्यूनतम समर्थन मूल्य का करो हिसाब का नारा इस रंगीन और मोटे चिकने कागज के फॉर्म में सबसे ऊपर लिखा है. इसके साथ ही एक गोल दीवार पर चिपकाने वाला पोस्टर और एक छोटा मोबाइल पर चिपकने वाला पोस्टर है, सभी पर कांग्रेस का चुनाव निशान और 27 साल यूपी बेहाल का नारा है, इनको एक पीले रंग के नारा लिखे बस्ते में कार्यकर्ताओं को दिया जाएगा. बैंकों और व्यक्तिगत जानकारी के आधार पर कांग्रेस का कार्यकर्ता इस बस्ते के साथ कर्जदार किसानों के घर जाएगा पूरा फॉर्म भरवाया जाएगा. जिसमें नाम, पता, मोबाइल नंबर के कर्ज की राशि भरी जाएगी. फिर फॉर्म के दूसरे भाग में भी यही डिटेल होगा, लेकिन उसमें एक लाल रंग की गोल मुहर के साथ कर्ज माफ लिखा होगा और फाड़कर वो हिस्सा किसान को दे दिया जायेगा. यानी लिखित वादे के साथ कि, कांग्रेस सत्ता में आई तो कृषि का कर्ज माफ होगा, बिजली का बिल आधा होगा और उचित समर्थन मूल्य मिलेगा.
गोल पोस्टर घर के बाहर चिपकाया
इस प्रक्रिया के बाद घर के मालिक की अनुमति से कांग्रेस का गोल वाला पोस्टर घर के दरवाजे पर चिपका दिया जाएगा. फिर फॉर्म पर लिखे नंबर पर किसान के नंबर से मिस कॉल की जाएगी, उसके बाद छोटा गोल पोस्टर उसके मोबाइल पर चिपका दिया जाएगा. किसानों को विश्वास दिलाने के लिए मोदी को न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का वादा नहीं पूरा करने का आरोप भी लगाया जाएगा और यूपीए की किसान कर्ज माफी का इस्तेमाल भी होगा. तैयारी किसानों को ये भी समझाने की है कि, अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत कम होने के बावजूद किसानों को उसका फायदा नहीं दिया जा रहा, जबकि कुछ उध्योगपतियों के करोड़ों के कर्ज माफ किए गए.
क्या ये चुनावी लालच है ?
इस बारे में अपने कार्यकर्ताओं को समझा रहे कांग्रेस विधायक अखिलेश प्रताप से आजतक ने पूछा कि, आप लोग तो चुनावी लालच दे रहे हैं ? जवाब में उन्होंने कहा कि, नहीं हम पक्का वादा कर रहे हैं, ये वादा हमने केंद्र में रहते पूरा भी किया था और ये कृषि प्रधान देश है, इसलिए हम परेशानी में उनकी मदद कर रहे हैं. कुल मिलाकर 27 साल से यूपी की सत्ता से बाहर कांग्रेस वापसी के लिए नए नये जतन कर रही है, पर ये तीर है या तुक्का ये तो चुनावी नतीजे तय करेंगे, पर फिलहाल तो कांग्रेस ने दांव चल दिया है.