नई दिल्ली : नोटबंदी के बाद चलन से बाहर किए गए 500, 1000 रुपये के पुराने नोट रखने वालों पर अब जुर्माना लगेगा। उन्हें जेल की सजा भी हो सकती है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को इस तरह के प्रावधान वाले अध्यादेश को मंजूरी दी है। इसके तहत केंद्र सरकार 31 मार्च, 2017 के बाद किसी के पास एक सीमा से ज्यादा पुराने 500 और 1000 का नोट पाए जाने पर चार साल तक की जेल हो सकती है। साथ ही पुराने नोटों में लेन-देन करने पर 5000 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है। यह अध्यादेश अमान्य किये गये उच्च मूल्यवर्ग के नोटों के प्रति सरकार और रिजर्व बैंक का दायित्व समाप्त करने के लिये है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस दंडित करने के प्रावधान वाले अध्यादेश को मंजूरी दी गई। इसमें निर्धारित तिथि के बाद 500, 1000 रुपये के अमान्य नोट रखने वालों पर जुर्माना लगाने के साथ साथ जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। रिजर्व बैंक कानून में संशोधन वाले एक अन्य अध्यादेश को भी मंजूरी दी गई है जिसमें अमान्य किए गए इन नोटों के दायित्व से सरकार और केन्द्रीय बैंक को मुक्त किया गया है ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार के विवाद से बचा जा सके।
आधिकारिक सूत्रों ने अध्यादेश को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने की जानकारी दी है। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि दंड का यह प्रावधान किस तिथि के बाद लागू होगा। सरकार ने 500, 1,000 रुपये के अमान्य नोटों को बैंकों में जमा कराने के लिये 50 दिन की समयसीमा तय की थी। यह समय 30 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। इसके अलावा यह भी कहा गया था कि एक घोषणा पत्र के साथ 31 मार्च तक इन नोटों को रिजर्व बैंक के विशिष्ट कार्यालयों में जमा कराया जा सकेगा। अध्यादेश के प्रावधानों के अनुसार दस से अधिक अमान्य नोट रखने पर वित्तीय जुर्माना लग सकता है और कुछ मामलों में चार साल तक जेल की सजा भी हो सकती है। सरकार ने 8 नवंबर की मध्यरात्रि से 500, 1,000 रुपये के पुराने नोटों को अमान्य घोषित कर दिया था। ऐसे नोटों को नये नोटों से बदलने अथवा बैंक, डाकघर खातों में जमा कराने को कहा गया।
सरकार ने हालांकि, नोट बदलने की सुविधा को तो कुछ समय बाद वापस ले लिया लेकिन पुराने नोट बैंक और डाकघर खातों में जमा कराने के लिये शुक्रवार 30 दिसंबर तक का समय है।
अध्यादेश के जरिये सरकार और रिजर्व बैंक की इन नोटों के धारकों को उनके नोट का मूल्य देने का वादा करने वाली देनदारी को भी समाप्त कर दिया है। बता दें कि 1978 में मोरारजी देसाई की जनता पार्टी सरकार ने 1,000, 5000 और 10,000 का नोट बंद करने के बाद सरकार की देनदारी को समाप्त के लिए इसी तरह का अध्यादेश लाया गया था।