बोस्टन। वैज्ञानिकों की एक टीम ऐसा मोबाइल सॉफ्टवेयर विकसित कर रही है जिससे स्मार्टफोन, टैबलेट और अन्य मोबाइल उपकरणों को बिना हाथ से टच किए सिर्फ आंखों की हरकतों या निगाहों (आई मूवमेंट) से नियंत्रित किया जा सकेगा। इन वैज्ञानिकों में एक भारतीय भी शामिल है।
स्मार्टफोन के लिए इस सॉफ्टवेयर को सस्ता, संक्षिप्त और सटीक बनाने के लिए शोधकर्ता निगाहों की गतिविधियों से संबंधित सूचनाएं एकत्रित कर रहे हैं।
जर्मनी में मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट, अमेरिका का मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आइएमटी) और यूनीवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया ने अब तक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाने में सफलता हासिल कर ली है जो मोबाइल फोन पर एक सेमी और टैबलेट पर 1.7 सेमी की शुद्धता के साथ व्यक्ति की निगाहों की गतिविधि को पहचान सकता है।
एमआइटी में स्नातक के छात्र आदित्य खोसला ने बताया कि उपभोक्ताओं के उपयोग के लिए यह अभी पर्याप्त रूप से सटीक नहीं है। “एमआइटी टेक्नोलॉजी रिव्यू” के मुताबिक शोधकर्ताओं ने शुरुआत में “गेजकैप्चर” नामक एक ऐप बनाया जिसके जरिए मोबाइल फोन पर लोगों के देखने के तरीकों से संबंधित डाटा एकत्रित किया गया।
अब तक करीब 1,500 लोगों ने “गेजकैप्चर” ऐप का इस्तेमाल किया है। इस डाटा के इस्तेमाल से “आईट्रैकर” नामक सॉफ्टवेयर बनाया गया।
इसमें मोबाइल का फ्रंट कैमरा व्यक्ति के चेहरे की तस्वीर लेता है और इसके बाद सॉफ्टवेयर व्यक्ति के सिर और आंखों की दिशा और स्थिति का विश्लेषण करके यह पता लगाता है कि उनकी निगाह स्क्रीन पर कहां केंद्रित है।
खोसला ने बताया कि शोधकर्ताओं को जब दस हजार लोगों का डाटा मिल जाएगा तो वे सॉफ्टवेयर की त्रुटि दर आधा सेमी तक घटाने में समर्थ होंगे जो “आईट्रैकिंग” ऐप के लिए अच्छी मानी जाएगी। इसके बाद इस तकनीक का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा सकेगा। यहां तक कि आप इसके जरिए गेम भी खेल सकेंगे।