बेंगलुरू: ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) ने किंगफिशर एयरलांइस के जवाब में संशोधन के अनुरोध वाले आवेदन को खारिज कर दिया। आवेदन में विजय माल्या ऋण चूक मामले में बैंकों के समूह के मूल आवेदन को लेकर पूर्व में दिए गए जवाब में संशोधन की अनुमति देने का आग्रह किया गया था।
साथ ही आवेदन में बैंकों के रूख के कारण कंपनी को हुए नुकसान के एवज में 3,000 करोड़ रुपये की मांग की गई थी।
किंगफिशर ने अपने संशोधित आवेदन में बैंकों से 3,000 करोड़ रुपये की मांग की। कंपनी का दावा है कि समझौते के तहत प्रस्तावित परियोजनाओं के लिए उसे यह राशि दी जानी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ जिससे कंपनी को नुकसान हुआ। बंद पड़ी एयरलाइंस ने उच्चतम न्यायालय के पूर्व के आदेशों का हवाला देते हुए अपने जवाब में न्याय के लिए संशोधन की अनुमति देने का आग्रह किया था।
किंगफिशर के वकील ने अपनी दलील में कहा कि कंपनी को 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, क्योंकि बैंकों ने नई परियोजनाओं के लिये उसे कर्ज नहीं दिए, जबकि समझौते के तहत यह होना चाहिए। कंपनी ने कहा कि इसीलिए उसने संशोधित आवेदन दिया था।
दूसरी तरफ बैंकों के अधिवक्ता ने आग्रह किया कि आवेदन को मंजूर नहीं किया जाए और संशोधन के अधिकार से संबद्ध जो समयसीमा थी, वह समाप्त हो चुकी है।
किंगफिशर के आवेदन को खारिज करते हुए डीआरटी के पीठासीन अधिकारी सी आर बेंकनहल्ली ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। मामले की अगली सुनवाई अब 13 जुलाई को होगी। माल्या के स्वामित्व वाली कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस के ऊपर भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई में 17 बैंकों के समूह का 9,000 करोड़ रुपये बकाया है।