म्यांमार में भूकंप का बड़ा झटका आया तो इसकी धमक भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्यों, पश्चिचम बंगाल, बिहार, झारखंड और ओड़ीशा तक महसूस की गई. भूकंप की शुरुआत शाम 4 बजकर 5 मिनट पर हुई. भूकंप का परिमाण रिक्टर स्केल पर 6.8 रहा और ये भूकंप म्यांमार में चौक कस्बे से 25 किलोमीटर की दूरी पर आया. भूकंप का केंद्र सतह से 84.1 किलोमीटर गहराई पर रहा. इतनी गहराई पर भूकंप का केंद्र होने की वजह से भूकंप को बिहार, उड़ीसा तक महसूस किया गया.
आबादी वाले इलाके में आया भूकंप
जिस इलाके में भूकंप आया था उस कस्बे की आबादी तकरीबन 90 हजार है. आबादी का घनत्व कम होने और भूकंप गहराई पर पैदा होने की वजह बहुत ज्यादा इंसानी नुकसान नहीं हुआ है. लेकिन मध्य म्यांमार का एक पुराना शहर बैगान में काफी नुकसान हुआ है. बैगान अपने पुराने मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है.
भूकंप को लेकर भयानक दहशत
भूकंप केंद्र से चलने वाली एस वेव और एल वेव दोनों ही पूर्वोत्तर राज्यों, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और ओड़ीशा में महसूस की गईं. लेकिन भारत में इस भूकंप के चलते किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ. भारत में नुकसान भले ही न हुआ हो लेकिन सभी जगहों पर लोगों में भूकंप को लेकर भयानक दहशत है. म्यांमार में भूकंप जिस जगह पर आया है वो जगह इंडो-बर्मा ऑर्क का हिस्सा है. भूकंप वैज्ञानिकों के मुताबिक इस इलाके में आने वाले भूकंप काफी गहराई पर आते हैं और उनको दूर तक महसूस किया जाता है.
ये हैं बड़े-बड़े भूकंप
भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक भारत और म्यांमार की सीमा हिमालय पर्वतमाला का ही हिस्सा है. यहां पर हिमालय पर्वतमाला इंडियन और यूरोपियन प्लेट के बीच हो रहे टकराव का नतीजा है. यहां पर इंडियन प्लेट बर्मा प्लेट के नीचे जा रही है. हर साल इंडियन प्लेट 40 से 50 मिलीमीटर खिसक जाती है. इस वजह से ये इलाका पहाड़ियों से घिरा हुआ है. इस इलाके में तमाम ऐसे फॉल्ट और फोल्ड हैं जो बड़ा भूकंप कभी भी पैदा कर सकते हैं. इस पूरे इलाके में भयानक भूकंप आते रहे हैं.
असम में 1950 में 15 अगस्त को आया 8.6 परिमाण का भयानक भूकंप. इससे भयानक तबाही मची थी और इस भूकंप को भारत के साथ-साथ मध्य एशिया तक महसूस किया गया था. इसी तरह से इस इलाके में 1897 में शिलांग भूकंप के नाम से मशहूर 8.3 परिमाण का बड़ा भूकंप आया था. इससे ये समझा जा सकता है कि इस इलाके में कभी भी बड़ा भूकंप कहीं पर भी आ सकता है.इस इलाके की जियोलॉजी को देखें तो इंडो-बर्मा ऑर्क पर कम गहराई के छोटे भूकंप लगातार आते रहते हैं. लेकिन इस ऑर्क पर सैगिंग, काबाव और धौकी फॉल्ट जैसे बड़े फॉल्ट भी हैं. 1930 से लेकर 1956 तक इस इलाके 7 के परिमाण से बड़े छह भूकंपों ने काफी विनाश किया था. इस इलाके की खासियत ये है कि यहां पर 70 से लेकर 200 किलोमीटर तक की गहराई पर भूकंप का केंद्र होता है.