चेन्नई।
तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन से पहले उनके इलाज पर 80 करोड़ रूपए से भी ज़्यादा खर्च किया गया। स्थानीय मीडिया की खबरों के मुताबिक़ चेन्नई के अपोलो अस्पताल में उन्हें 22 सितंबर को भर्ती किया गया था। तब से लेकर उनके निधन की तारीख तक 73 दिन चले इलाज का अस्पताल प्रबंधन की ओर से ये बिल बनाया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, जयललिता के इलाज के दौरान अपोलो अस्पताल की दूसरी मंज़िल पूरी तरह से खाली करवाई गई थी। इस मंज़िल पर अस्पताल के 30 कमरे बने हुए थे जहां पर मरीजों को भर्ती किया जाता था।
अस्पताल की ओर से जारी हुए बिल के मुताबिक़ दूसरी मंज़िल पर खाली करवाये गए 30 कमरों का एक दिन का किराया लगभग एक करोड़ रूपए आया है।
इसके अलावा जयललिता की देखरेख के लिए लगाए गए कुल 39 डॉक्टर्स की कंसल्टेशन फीस और दवाओं का खर्च अलग से जोड़ा गया है। यही नहीं उनके इलाज के लिए खासतौर से लन्दन से बुलाये जा रहे डॉक्टर रिचर्ड्स और सिंगापुर से बुलाये जा रहे फ़िज़ियोथेरेपिस्ट के हर बार के आने-जाने का किराया भी 80 करोड़ तक पहुंचने वाले बिल में शामिल है।
जारी हुए बिल के मुताबिक़ जिन दो सुइट कमरों में जयललिता को भर्ती किया गया था उसका शुल्क 52 हज़ार 600 रूपए प्रतिदिन का था। जबकि दूसरी मंज़िल के बाकी के 28 कमरों में से 8 सामान्य वार्ड थे। इनके हर बेड का किराया 3 हज़ार 500 से 5 हज़ार 200 रूपए का है। इसी तरह से 10 कमरे प्राइवेट वार्ड की श्रेणी में आते हैं जिनका किराया 8 हज़ार 800 रूपए प्रतिदिन का है।
जानकारी में ये सामने आया है कि जयललिता के इलाज में काम लिए गए एम्स के डॉक्टर्स का पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी। कुल मिलाकर माने तो ‘अम्मा’ के इलाज पर रोज़ाना एक करोड़ रूपए खर्च हो रहे थे।