बिहार के बक्सर लोकसभा सीट से भारत सरकार में स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे सांसद हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह को सावा लाख से अधिक मतों से परास्त किया था. 1996 में पहली बार इस सीट पर बीजेपी का ‘कमल’ खिला था. इस चुनाव में लालमुनी चौबे चुनाव जीते थे, जिन्हें देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी का करीबी माना जाता था. कहा जाता है कि दोनों की मुलाकात होती थी तो वाजपेयी जी बक्सर की पापड़ी का फरमाइश करना नहीं भूलते थे.
लालमुनी चौबे 1996, 1998, 1999 और 2004 के चुनावों में लगातार इस सीट से जीत दर्ज की थी. 2016 के मार्च महीने में उनका निधन हो गया था. 2009 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर आरजेडी के जगदानंद सिंह चुनाव जीतने में सफल रहे थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया था. निराश होकर उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा भर दिया था. हालांकि बाद में मान-मनौव्वल के बाद उन्होंने नामांकन वापस लिया.
2014 के चुनाव में इस सीट पर दूसरे नंबर पर आरजेडी, तीसरे नंबर पर बीएसपी और चौथे नंबर पर जेडीयू थी. अश्विनी चौबे को जहां कुल तीन लाख 19 हजार 12 वोट मिले थे वहीं, जगदानंद सिंह के खाते में कुल एक लाख 86 हजार 674 आए थे. एक लाख 84 हजार 788 मतों के साथ बीएसपी के ददन यादव तीसरे और जेडीयू के श्याम लाल कुशवाहा एक लाख 17 हजार 12 मतों के साथ चौथे नंबर पर रहे थे.
16 लाख 40 हजार 671 मतादाताओं वाले इस सीट पर 20014 में कुल आठ लाख 88 हजार 204 लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. साथ ही इस सीट पर कुल 16 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे थे.
कमल सिंह यहां से पहले सांसद थे, जिन्होंने साल 1952 का पहला आम चुनाव निर्दलीय रूप से लड़ा था. 1962, 1967 और 1971 के चुनाव में यहां पर कांग्रेस का दबदबा रहा, लेकिन 1971 के चुनाव में कांग्रेस के विजय रथ को भारतीय लोकदल ने रोका और रामानंद तिवारी यहां से सांसद बने. 1980 के चुनाव में कांग्रेस के कमलाकांत तिवारी यहां से सांसद चुने गए. 1984 में भी वही सांसद रहे. 1989 के चुनाव में यहां पर सीपीआई ने जीत के साथ खाता खोला और तेज नारायण सिंह एमपी बने. 1991 में भी यहां सीपीआई का ही राज रहा.