बिहार के ग्रामीण इलाके में अगर फुटबॉल की पसंदगी की बात करें तो आप चौंक सकते हैं, लेकिन यह सच है. प्रदेश में एक ऐसा गांव है, जहां बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में क्रिकेट नहीं फुटबॉल का जादू सिर चढ़कर बोलता है. इस गांव का मैदान राज्य के कई जिलों में अपना नाम कमा चुका है.
जी हां, हम बात कर रहे हैं दरभंगा जिला के कमतौल स्थित हरिहरपुर गांव की. यहां के युवा से लेकर बुजुर्ग तक फुटबॉल को पसंद करते हैं. गांव में एक जगदंबा मैदान है, जहां फुटबॉल टुर्नामेंट खेला जाता है. इस मैदान की चर्चा राज्य के विभिन्न हिस्सों में भी होती है.
यहां बीते 37 वर्षों से शारदीय नवरात्र में फुटबॉल टूर्नामेंट खेलने के लिए राज्य के कई जिलों की टीमें पहुंचती हैं. हजारों की भीड़ मैच देखने आती है. यहां के जगदंबा मैदान में दुर्गा पूजा के अवसर पर 1981 से राज्यस्तरीय टूर्नामेंट का आयोजन किया जाता है. इस वर्ष पटना, मोकामा, समस्तीपुर, पूर्णिया और सीवान सहित राज्य की आठ टीमें शिरकत कर रही हैं.
पहले दिन के मैच में शुभंकरपुर, दरभंगा की टीम ने सीवान को 2 गोल से हराया, जबकि मेजबान हरिहरपुर की टीम किशनपुर, समस्तीपुर से 4-2 से मैच हार गई. यह सैनिकों का गांव है. यहां के करीब पांच सौ लोग सेना में हैं. गांव के दुर्गानंद झा ने बताया कि इस मैदान से अभ्यास करके हर साल कम से कम 10 युवा सेना की बहाली में सफल होते हैं. इस मैदान को स्टेडियम का दर्जा देने की लंबे समय से मांग होती रही है, लेकिन जनप्रतिनिधि केवल आश्वासन देकर चले जाते हैं.
टूर्नामेंट के संस्थापक सदस्यों में से एक और इलाके के जानेमाने फुटबॉल खिलाड़ी रहे गंगा प्रसाद झा कहते हैं कि 1978 में पहली बार यहां टूर्नामेंट हुआ था. 1981 से प्रत्येक वर्ष आयोजन किया जा रहा है. यहां फुटबॉल के प्रति लोगों की दीवानगी कभी कम नहीं हुई.