कार्यस्थलों और सरकारी कार्यालयों में महिलाओं के लिए समान साझेदारी की वकालत करते हुए पूर्व कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि समाज में बदलाव लाने के लिए कानून से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण लोगों की मानसिकता में बदलाव लाना है. गांधी ने यहां दूसरे यूरेशियन वूमेंस फोरम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘यह अनोखी बात है कि पिछले साल दुनिया में बस दो राष्ट्रों में संसद में उसके किसी सदन में 50 फीसद (या उससे अधिक) महिला सदस्यों का प्रतिनिधित्व था. दुनियाभर में 25 फीसदी से भी कम सांसद महिला हैं.
किसी सरकार में मंत्री के तौर पर सेवा दे रही महिलाओं का प्रतिनिधित्व तो उससे भी कम है. ’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें एक ऐसे माहौल बनाने के लिए काम करना चाहिए जहां महिलाओं को कार्यस्थल और सार्वजनिक कार्यालय में समान साझेदारी दी जाए.’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि यह बदलाव रातोंरात नहीं लाया जा सकता है लेकिन प्रगतिशील पुरुष समकक्षों के साथ मिलकर उसे आने वाले समय में संभव बनाया जा सकता है