बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन ने यहां बुधवार को कहा कि बिहार की पहचान इसकी सांस्कृतिक विरासत है. उन्होंने कहा कि हमें अपनी सांस्कृतिक परंपरा से जुड़े रहते हुए वैश्विक प्रतिस्पर्धा में शामिल होना चाहिए.
दरभंगा में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में आयोजित पांच दिवसीय बिहार अंतर विश्वविद्यालय सांस्कृतिक महोत्सव ‘तरंग-2018’ का उद्घाटन करते हुए टंडन ने कहा कि अंतर विश्वविद्यालय सांस्कृतिक महोत्सव ‘तरंग’ बिहार की कला-संस्कृति की विरासत से नई पीढ़ी को जोड़ने का एक सार्थक प्रयास है.
मिथिला की गौरवमयी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, दार्शनिक एवं साहित्यिक परम्परा का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा, “यह भूमि राजा जनक, याज्ञवल्क्य, कपिल, कणाद, गौतम, मंडन, उदयनाचार्य, गार्गी, मैत्रेयी, भामती, भारती जैसी मनीषी प्रतिभाओं की जन्मभूमि एवं कर्मभूमि है. धर्म, अध्यात्म, दर्शन, शिक्षा, संस्कृति, कला, संगीत आदि सभी क्षेत्रों में मिथिला की प्रतिभाओं ने भारतीय संस्कृति को समृद्घ बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
राज्यपाल ने कहा कि विभिन्न अभावों एवं विसंगतियों के बावजूद हमें बराबर नवसृजन के लिए तैयार रहना चाहिए. टंडन ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि ‘तरंग’ के तहत 27 प्रकार की प्रतिस्पर्धाओं को शामिल किया गया है.
राज्यपाल ने संतोष व्यक्त किया कि उनकी परिकल्पना के अनुसार राज्य में उच्च शिक्षा के विकास के सार्थक प्रयास शुरू हो गए हैं, जिसके बेहतर नतीजे भी आगामी वर्ष से दिखने लगेंगे.
उन्होंने कहा कि शीघ्र ही बोधगया में खेलकूद की अंतरविश्वविद्यालयीय प्रतियोगिता ‘एकलव्य’ आयोजित होगी.
ललित नारायण विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ़ एस़ क़े सिंह ने कहा कि ‘तरंग’ का यह आयोजन सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देकर शिक्षा के समग्र विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा.
समारोह में राज्यपाल के प्रधान सचिव विवेक कुमार सिंह ने कहा कि ‘तरंग’ और ‘एकलव्य’ जैसे कार्यक्रम छात्र-छात्राओं के व्यक्तित्व विकास के लिए आवश्यक हैं. उन्होंने कहा कि आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए ‘सिविल सोसाईटी’ का भी सहयोग लिया जाना चाहिए.
इसके पूर्व कुलपति सिंह ने मिथिला की परम्परा के अनुरूप राज्यपाल सहित अन्य अतिथियों को पाग, चादर एवं प्रतीक-चिह्न् भेंटकर सम्मानित किया. इस मौके पर कई पूर्व कुलपति, संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, प्रधानाचार्य, गणमान्य लोग और छात्र शामिल हुए.