सेना नियुक्ति के 30 घंटे बाद दफ्तर से बाहर निकलीं ममता बनर्जी, कहा- मोदी जी हमें सेना भेज के नहीं डरा सकते !
December 2, 2016
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य में टोल बूथों पर सेना की मौजूदगी पर विवाद के बीच 30 घंटे बाद अपने दफ्तर से बाहर निकलीं। बाहर आने के बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा कि केंद्र सरकार उन्हें कुचलना चाहती है। इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी। ममता ने कहा, ”यदि सरकार ने राज्य से सेना की मौजूदगी नहीं हटाई तो हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। मोदी सरकार डाकू सरकार बन गई है। मैं कहना चाहती हूं कि मोदी जी लोगों के पैसे लूट रहे हैं। सेना के लिए मेरे मन में अपार सम्मान है लेकिन उन्हें राजनीतिक बदले के लिए क्यों इस्तेमाल किया जा रहा है। यह गलत है।” जब उनसे पूछा गया कि क्या जरूरत पड़ने पर वह केंद्र सरकार से कानूनी रूप से लड़ेंगी? इस पर बंगाल की सीएम ने जवाब दिया, ”यह पहले ही शुरू हो चुका है, चिंता मत कीजिए।”
गौरतलब है कि ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में सेना के अभ्यास पर ऐतराज जताया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार उन्हें डराने के लिए सेना का उपयोग कर रही है। यह आपातकाल से भी खराब समय है। राज्य सरकार को बताए बिना दो टोल बूथों पर सेना को तैनात किया गया। उन्होंने पूछा था कि क्या राज्य में तख्तापलट किया जा रहा है। इस पर केंद्र और सेना की ओर से कहा गया कि यह रूटीन प्रक्रिया है। सेना हर साल इस तरह का अभ्यास करती है। इसका मकसद यह होता है कि सेना को किसी आपात स्थिति में कितने वाहन उपलब्ध हो सकते हैं।
Army Jawans during vehicles checking at 2nd Hoogly river Bridge toll plaza ,on December 01, 2016. Express photo.
एक रक्षा प्रवक्ता ने कहा कि सेना साल में दो बार देशभर में ऐसा अभ्यास करती है जिसका लक्ष्य सड़कों के भारवहन संबंधी आंकड़े जुटाना होता है। इससे मुश्किल घड़ी में सेना को उपलब्ध कराया जा सके। बंगाल पुलिस की ओर से भी कहा गया कि उनकके मना करने के बावजूद सेना को तैनात किया गया। इस पर सेना ने सबूत के तौर पर चिट्ठियां पेश करते हुए बताया कि इस बारे में पहले ही सूचित कर दिया गया था। सेना ने कहा कि जिन जगहों का चुनाव किया गया उनमें तब्दीली नहीं की जा सकती।
रक्षा मंत्री पर्रीकर ने शुक्रवार (दो दिसंबर) को लोक सभा में कहा, “पिछले साल 19 और 21 नवंबर को भी ऐसा अभ्यास किया गया था। ये दुखद है कि रूटीन अभ्यास पर विवाद किया जा रहा है। इस साल भी सेना ने संबंधित अधिकारियों को इसके बारे में सूचित कर दिया था। कार्यवाही की असल तारीख 28, 29 और 30 दिसंबर थी जिसे बाद में बदलकर एक और दो दिसंबर कर दिया गया।”
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