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मार्च के पहले सप्ताह में दिल्ली सरकार विधानसभा में पेश करेगी बजट

नई दिल्ली । दिल्ली सरकार मार्च के पहले सप्ताह में विधानसभा में बजट पेश करेगी। यह ‘आप’ सरकार द्वारा पेश किया जाने वाला चौथा बजट होगा। 15 फरवरी के बाद दिल्ली सरकार द्वारा तैयार बजट का प्रारूप केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा व स्वीकृति मिलने के बाद विधानसभा में पेश किया जाएगा।

बजट को अंतिम रूप देने की तैयारी शुरू 

गत वर्ष की तरह शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र में स्थिति सुधारने के लिए अधिक जोर होगा। नए वित्त वर्ष में शिक्षा क्षेत्र में 25 फीसद हिस्सा खर्च करने का प्रावधान हो सकता है। ऐसे संकेत है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली के लोगों पर कोई नया कर नहीं लगाएंगे। दिल्ली सरकार के अधिकारी वित्त वर्ष 2018-19 का बजट तैयार करने व उसे अंतिम रूप देने में जुट गए हैं।

शहर को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए बजट में पर्याप्त प्रावधान 

सूत्रों की मानें तो दिल्ली सरकार चालू वित्त वर्ष 2017-18 के बजट की योजना मद के 50 प्रतिशत हिस्से को विकास कार्यों पर खर्च करेगी। बिजली व पानी के बिल पर जारी सब्सिडी के साथ-साथ नई बसों की खरीद, नए बीआरटी कॉरिडोर सहित अन्य परियोजनाओं के लिए आगामी बजट में पर्याप्त धनराशि का प्रावधान किया जाएगा। शहर को प्रदूषण मुक्त बनाने को लेकर जो उपाय हो सकते हैं उसके लिए भी बजट में पर्याप्त प्रावधान करने के निर्देश दिए जा सकते हैं।

इसलिए दिल्ली सरकार को केंद्र से लेनी होती है स्वीकृति

दिल्ली संघ शासित प्रदेश है इस लिहाज से दिल्ली का अपना कोई पब्लिक एकाउंट नहीं है। सरकार जो भी खर्च करना चाहती है उसके बारे में पहले उपराज्यपाल और केंद्र सरकार से इजाजत लेनी होती है। इसलिए परंपरा रही है कि बजट प्रस्तुत करने से पहले दिल्ली सरकार बजट का प्रारूप केंद्र सरकार को भेजती है।

बदल चुके हैं हालात

दिल्ली की ‘आप’ सरकार के चौथे बजट में दिल्ली में 20 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के असर की झलक दिखाई दे सकती है। इस उपचुनाव के चलते सरकार इस बार का भी बजट पब्लिक फ्रेंडली लाने की तैयारी में है। दिल्ली सरकार बजट के माध्यम से जनता को लुभाने का फिर से प्रयास करेगी। सरकार के पास बजट ही एक ऐसा माध्यम है, जिसमें वह तरह-तरह की घोषणाएं कर अपना हित साधने का प्रयास कर सकती है।

उपचुनाव पर ‘आप’ की नजर

सरकार का ध्यान इस समय आगामी कुछ माह बाद दिल्ली में 20 सीटों पर होने वाले उपचुनाव पर है। योजना विभाग और वित्त विभाग के अधिकारी इसी आधार पर बजट तैयार करने में जुटे हैं। सभी मंत्रियों के स्तर पर समीक्षा बैठकें हो रही हैं। जिसमें विभागों से उनके कार्यों के बारे में जानकारी ली जा रही है। नई योजनाओं पर भी चर्चा हो रही है।

टैक्स लगाए जाने की संभावना नहीं

सूत्रों की मानें तो इस बार भी जनता पर किसी प्रकार का टैक्स लगाए जाने की संभावना नहीं है। बिजली पानी पर सब्सिडी जारी रहेगी। जनता को लुभाने के लिए कुछ अन्य घोषणाएं होने की संभावना है। सरकार का मुख्य फोकस इस बार भी शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन के साथ साथ अनधिकृत कॉलोनियों के विकास पर रहने की संभावना है।

निराश हुई केजरीवाल सरकार

बता दें कि एक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में पेश बजट से केजरीवाल सरकार मायूस हुई थी। बजट से उम्मीद लगाए बैठी केजरीवाल सरकार को उस वक्त निराशा हाथ लगी जब गत वर्ष चालू वित्त वर्ष के लिए दिल्ली सरकार को अलग-अलग मदों के लिए कुल 757.99 करोड़ रुपये आवंटित किया गया था। इस वर्ष अप्रैल से शुरू होने वाले नए वित्त वर्ष में केंद्र सरकार ने कुल 790 करोड़ रुपये फंड आवंटित किया है। इसमें 325 करोड़ रुपये वह हैं जो वर्ष 2002 से लगातार दिल्ली को केंद्रीय कर संग्रह में से दिल्ली को दिया जाता है।

दिल्ली के साथ धोखा

वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में पेश बजट पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया था कि केंद्र सरकार ने दिल्ली के साथ धोखा किया है। संसद में पेश बजट में दिल्ली के विकास के लिए एक पैसा भी अतिरिक्त प्रावधान नहीं किया। उन्होंने लिखा कि ‘सार्वजनिक परिवहन सेवा को बेहतर करने के लिए दो हजार इलेक्ट्रिक बसें खरीदने के लिए विशेष पैकेज की मांग की थी। लेकिन यह मांग नहीं मानी गई। इस वर्ष भी केंद्रीय करों के हिस्से में से दिल्ली को वंचित किया गया है। केंद्रीय करों में दिल्ली की हिस्सेदारी 18 वर्षों से 325 करोड़ रुपये स्थिर बनी हुई है।’ 

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